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Thursday, 28 November 2019

चेचक के लक्षण और दाग हटाने के लिए घरेलू उपचार

चिकन पॉक्स (चेचक) के लक्षण और दाग हटाने के लिए घरेलू उपचार | Chicken Pox Symptoms, Treatment and Spot Removal Home Remedies (gharelu nuskhe), chechak ke daag ka ilaj in hindi


चिकन पॉक्स एक तरह का रोग है, जो कि काफ़ी तकलीफ़ देह होता है. इसे वरिसल्ला (varicella) भी कहा जाता है. जिस व्यक्ति को यह रोग होता है, उसके शरीर पर लाल लाल फफोले हो जाते हैं, जो व्यक्ति को काफ़ी दर्द पहुंचाता है. मेडिकल की उन्नति से इसका इलाज काफ़ी संभव हो पाया है. हालाँकि दवाओं के साथ साथ कई तरफ के परहेज़ आदि करने की भी आवश्यकता होती है. यहाँ पर इस रोग के उपचार से सम्बंधित सभी आवश्यक और विशेष जानकारियां दी जायेंगीं.
चेचक के दाग स्किन में बहुत अंदर तक जुड़ जाते है, जिसे निकालना आसान नहीं होता. इनको मिटाने के लिए बहुत सी दवाइयां अब आ गई है लेकिन ये स्किन के लिए नुकसानदायी भी होती है. दवाइयों में बहुत से केमिकल होते है जो कई बार असर करने की जगह नुकसान पहुंचाते है. इस बीमारी के बाद शरीर में अवरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे इन चेचक पर आसानी से संक्रमण हो जाता है. इस दाग को दूर करने के लिए सबसे अच्छा है कि हम आयुर्वेद का रास्ता चुने और घरेलू उपाय अपनाएं.
chicken pox chechak
चिकन पॉक्स के लक्षण (Chicken Pox Symptoms)

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चिकन पॉक्स होने के कई विशेष लक्षण हैं, जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है.                                      
  • चिकन पॉक्स होने का सबसे आम लक्षण ये है कि रोगी के शरीर पर खुजली युक्त रैश नज़र आने लगते हैं. रैश होने के 7 दिन से 21 दिनों के पहले से ही शरीर में इन्फेक्शन होने लगता है.
  • इसके अलावा व्यक्ति इस रोग के होने पर कमज़ोर होता चला जाता है और उसे बुखार आदि भी होते रहते हैं.
  • इस रोग में व्यक्ति का सर दर्द होना आम है.
  • धीरे धीरे शरीर में लाल फफोले हो जाते हैं, जिसमे पानी जमना शुरू हो जाता है. इन घावों से पानी निकलने लगता है और काफ़ी जलन भी होती है.
चिकन पॉक्स होने का कारण (Chicken Pox Reasons)
चिकन पॉक्स होने का सबसे बड़ा कारण है वरिसला- जोस्टर वायरस  (Varicella-zoster virus), जिसकी वजह से किसी व्यक्ति को यह रोग होता है. यह रोग छुआछूत से फैलने वाला है, अतः जिस व्यक्ति को पहले से यह रोग है, उससे कांटेक्ट होने पर भी अन्य व्यक्तियों को यह रोग हो सकता है. रोगी के शरीर पर लाल फफोले आने के 2 दिन पहले से ही यह वायरस रोगी पर हावी हुआ रहता है. चिकन पॉक्स होने पर लाल फफोलों के इर्द गिर्द यह वायरस स्थित रहते हैं, और तब तक पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाते, जब तक कि पूरी तरह से ये घाव सूख नहीं जाते. ध्यान देने वाली बात है कि जिस व्यक्ति को यह रोग हुआ हो, यदि उसके सामने बैठ कर बातें की जाएँ, तो भी उसकी साँस से चिकन पॉक्स फैलने के आसर होता हैं.
चिकन पॉक्स का उपचार (Chicken Pox Treatment)
चिकन पॉक्स होने के 1 या 2 सप्ताह के बाद यह अपने आप ठीक होने लगता है. इसका सीधा उपचार अभी तक नहीं आया है. यह ख़ुद ब ख़ुद ठीक होता है. हालाँकि इसका वैक्सीन ज़रूर मौजूद है, जिसे अपने बच्चों को सही समय पर दिला देना आवश्यक होता है. बच्चों को चिकन पॉक्स वैक्सीन दो बार दी जाती हैं. पहला वैक्सीन बच्चों को उसके जन्म के 12 से 15 महीनों के बीच तथा दूसरा 4 वर्ष से 6 वर्ष की उम्रावस्था के बीच दी जाती है. यह वैक्सीन काफ़ी काम करता है और लोगों में चिकन पॉक्स होने के असर को 90% तक कम कर देता है
हालाँकि इससे होने वाली परेशानियों का उपचार करना अतिआवश्यक है ताकि इससे होने वाली परेशानी कम से कम हो. इसके लक्षणों के उपचार का वर्णन निम्नलिखित है,
  • बुखार से राहत : बुखार से राहत प्राप्त करने के लिए रोगी को डॉक्टर के परामर्श से ylenol (acetaminophen) दिया जा सकता है. ध्यान रखें कि बुखार के लिये एस्पिरिन सम्बंधित दवाएं उन्हें न दिए जाये.
  • डिहाइड्रेशन से राहत : डिहाइड्रेशन से राहत के लिए रोगी को अधिक से अधिक तरल पेय देने की आवश्यकता होती है. रोगी को जितना अधिक जल पिलाया जाए उतना बेहतर होता है. बच्चों को डिहाइड्रेशन से राहत के लिए डॉक्टर की परामर्श लेकर Pedialyte दिया जा सकता है.
  • मुँह की रूचि के लिए : इस समय रोगी को कुछ भी खाने का मन नहीं करता है. मुँह में अरुचि हो जाती है. साथ ही खाना चबाने में भी काफ़ी तकलीफ़ होती है. ऐसे समय में रोगी के मुँह की रूचि बढाने के विभिन्न जायकेदार सूप बना कर दिया जा सकता है. सूप अधिक मसालेदार न हो तो बेहतर है.
  • खुजली और जलन से राहत : खुजली से राहत के लिए शरीर पर डॉक्टर से परामर्श लेकर लोशन लगाए जा सकते हैं. साथ ही रोगी को हलके कपडे ही पहनाएं. इससे शरीर के विभिन्न हिस्से में हवा लगेगी और रोगी को जलन से राहत प्राप्त हो सकती है.
चिकन पॉक्स का घरेलु उपचार (Chicken Pox Home Treatment)
चिकन पॉक्स का घरेलु उपचार निम्न तरह से किया जा सकता है.
  1. बेकिंग सोडा : बेकिंग सोडा के उपयोग से रोगी को जलन और खुजली से राहत दिलाई जा सकती है. एक ग्लास पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा डाल कर उसे अच्छे से मिला लें. इसके बाद किसी नर्म कपडे को इसमें भींगा कर घाव पर रखें. अथवा रोगी के नहाने के पानी में भी इसे मिला कर रोगी को नहलाया जा सकता है.
  2. इंडियन लीलाक (बकाइन) : इसकी सहायता से फफोलों को सूखने में मदद प्राप्त होती है. इसका एंटीवायरल गुण इस रोग के उपचार में भी काफ़ी मदद करता है. एक मुट्ठी ताज़े नीम के पत्ते लें और उसे अच्छे से पीस कर घाव पर लगाएं. इससे रोग के उपचार में मदद प्राप्त हो सकेगी.
  3. गाजर और धनिया : गाजर और धनिया द्वारा बनने वाला सूप का प्रयोग इसके उपचार के लिए किया जाता है. इन दोनों का एंटीओक्सीडेंट गुण इसके उपचार के लिए काफ़ी लाभप्रद होता हैं. 100 ग्राम गाजर और लगभग 60 ग्राम धनिया पत्ते के प्रयोग से सूप बनाएं और रोज़ इसका सेवन करें.
  4. ब्राउन विनेगर : ब्राउन विनेगर का प्रयोग इस रोग से होने वाले जलन आदि को कम करने में सहायता करता है. गुनगुने पानी में इसे मिलाकर समस्त घावों पर इस घोल को हलके कपडे से सेकें. इससे काफ़ी राहत प्राप्त होगी.
  5. ओटमील : ओटमील बात की सहायता से भी रोगी को जलन और खुजली से राहत प्राप्त होती है. 2 कप ओटमील को अच्छे से पीस लें. इसे गुनगुने पानी में मिला कर इस मिश्रण का प्रयोग रोगी के घावो पर करें. रोगी के नहाने के पानी में भी इसे मिलाया जा सकता है.
चिकन पॉक्स डाइट (Chicken Pox Diet)
इस रोग के रोगी को खाने में कई तरह के परहेज करने की आवश्यकता होता है. इस समय रोगी को विटामिन ए, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों की काफ़ी आवश्यकता होती है. अतः इसकी भरपाई करने के लिए नियमित डाइट देने की आवश्यकता होती है. इसके लिए विशेष डाइट का वर्णन नीचे किया जा रहा है,
  • रोगी के डाइट में केला, चावल, सेव, टोस्ट आदि चीजें दी जा सकती हैं. ये सभी चीज़ें पौष्टिकता से भरपूर होती हैं. केला और सेव का स्वाद मीठा होता है. इस समय रोगी के मुँह में कडवाहट होती है, अतः रोगी को यह अच्छा लगता है.
  • नारियल पानी भी इस समय रोगी को नियमित रूप से दिया जा सकता है. नारियल पानी में कई महत्वपूर्ण मिनिरल पाए जाते हैं, साथ ही यह जीरो कैलोरी डाइट है. इसके सेवन से रोगी के शरीर में निकले घावों की जलन कम होती है.
  • इस समय रोगी को उबली हुई सब्ज़ियाँ खिलाने की आवश्यकता होती है. गाजर, मीठा आलू, बीन, बन्दा गोभी आदि सब्जियों को उबाल कर इसका सेवन रोगी को कराने से रोगी के स्वास्थ्य को काफ़ी लाभ पहुँचता है.
  • दही का सेवन ऐसे रोग में काफ़ी लाभ पहुंचता है. ध्यान देने वाली बात है की ऐसे रोगों में दही त्वचा सम्बंधित परेशानियां कम करने में काफ़ी मदद करता है. साथ ही रोगी दिन भर में जितनी बार चाहे दही खा सकता है.
  • क्या न खाएं : इस समय रोगी को अंडा, मीट, तैलीय और मसालेदार खाने से बचने की ज़रुरत होती है. अतः इस समय बाजारी चीज़ें भी न खाना ही बेहतर होता है. जितना अधिक हो सके केवल उबली हुई चीज़ें अथवा प्राकृतिक चीज़ों का ही सेवन करें.

चिकन पॉक्स का दाग़ कैसे हटायें  (Chicken Pox Spot Removal Home Remedies in hindi)

रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद भी इस समय हुए घावों का दाग़ पूरे शरीर पर रह जाता है. यह दाग़ देखने में काफ़ी भद्दा होता है, जो सुन्दर लोगों को भी कुरूप बना देता है. इस दाग़ को हटाने के उपचार का वर्णन नीचे किया जा रहा है.
  • मधु : मधु के प्रयोग से चिकन पॉक्स के दाग़ से छुटकारा प्राप्त हो सकता है. शुद्ध मधु यदि दाग़ वाले स्थान पर समय समय पर लगाया जाता रहे तो, धीरे धीरे दाग़ कम होने लगता है.
  • अलोवेरा : अलोवेरा की सहायता से भी यह दाग़ जा सकता है. इसके लिए एलोवेरा का पत्ता तोड़ कर उसका जेल निकालें और उसे चिकन पॉक्स के दाग़ों पर लगाएं. इसके बाद इसे सूखने तक ऐसे ही छोड़ दें. प्रतिदिन लगभग 2 से 3 बार ऐसा करने से दाग़ जाने लगते हैं. एलोवेरा के पत्ते और जूस के फ़ायदे यहाँ पढ़ें.
  • नीबू का प्रयोग : लेमन जूस की सहायता से भी इन दाग़ों से छुटकारा पाने में मदद प्राप्त हो सकती है. किसी रुई में इसे लेकर शरीर के उन स्थानों पर लगाए और रगड़ें जहाँ पर दाग़ के निशान हैं. इसके बाद 15 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दें. 15 मिनट के बाद इसे धो लें. ऐसा तब तक करें जब तक दाग़ पूरी तरह से चला न जाए.
  • कोकोआ बटर : इसके लेप से भी चिकन पॉक्स के अनचाहे दाग़ से छुटकारा प्राप्त हो सकता है. आपको इसका लाभ पाने के लिए रोज़ 3 से 4 बार अपने शरीर के दागयुक्त स्थानों पर इसका लेप करना होगा.
  • कोकोनट आयल : एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट आयल की सहायता से भी दाग़ से मुक्ति का उपचार प्राप्त होता है. इसे दिन भर में 3 से 4 बार अपने पूरे शरीर पर मालिश करें, धीरे धीरे दाग़ मिटने लगता है.
  •  टमाटर का उपयोग: टमाटर विटामिन E से भरपूर होता है. हमें इन दागों को मिटाने के लिए विटामिन E से युक्त भोजन ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए जैसे टमाटर, हेज़ल नट्स आदि. टमाटर के पल्प को आप दाग में लगायें, थोड़ी देर बाद इसे पानी से धो लें. टमाटर काले धब्बे हटाने में बहुत सहायक होता है.इसके अलावा आप टमाटर के रस में नीबू का रस मिला कर लगायें. ये भी चेचक के दाग में बहुत फायेदेमंद है.
  • लहसुन का उपयोग : लहसून का रस निकाल लें. अब इसे दिन में कई बार दाग पर लगायें. जल्दी आपको परिणाम मिलेगा.
  • दूध का उपयोग : अपनी स्किन को जब भी धोएं तो पानी की जगह ठन्डे दूध का इस्तेमाल करें.
  • Tea Tree आयल का उपयोग : यह आयल बाजार में आसानी से मिल जाता है. चेचक के दाग मिटने में यह बहुत असरदार होता है. इसे दिन में कई बार दाग में लगायें आपके दाग जल्दी ही गायब होने लगेंगे.
  • चन्दन का उपयोग: चन्दन तो सौन्दर्य का प्रसाधन है. यह हमारी स्किन के लिए बहुत अच्छा होता है. इसे लगाने से चेचक के दाग भी मिट जाते है. चन्दन पाउडर में थोडा सा ओलिव आयल मिलाएं और इसे दाग पर लगायें. रोज ऐसा करने से आपको बहुत जल्दी और अच्छे परिणाम मिलेंगे.
  • बेकिंग सोडा का उपयोग : बेकिंग सोडा स्किन के ph लेवल को control करता है. इसे लगाने से खुजली की समस्या भी हल होती है. 2 tbsp बेकिंग सोडा में पानी मिलाकर पेस्ट बनायें. अब इसे दाग में स्क्रब की तरह लगायें और 1-2 मसाज करें. फिर इसे पानी से धो लें.
  •  पपीता का उपयोग : पपीता स्किन से dead सेल्स निकाल देता है जिससे ड्राई स्किन निकल जाती है और स्किन में moisture रहता है. 1 कप पपीता लें उसमें 5 tbsp शक्कर डालें फिर उसमें 5 tbsp दूध डालें. सभी को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें. अब इस पेस्ट को दाग पर लगायें और 15-20 लगे रहने दें. फिर पानी से साफ कर लें.
  • नारियल तेल का उपयोग: नारियल तेल इस तरह के दाग धब्बे निकालने में बहुत सहायक होता है. नारियल तेल को दाग पर लगायें और मसाज करें. ऐसा दिन में 4-5 बार करें. आपको परिणाम जरुर मिलेगा.

वेट लॉस ही नहीं बीपी और डायबिटीज में भी फायदेमंद है यह फल, जानें इसके ये 15 लाभ

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एक बहुत बड़ा और काफी स्वादिष्ट फल है, जो कई सारे गुणों का खजाना है। इसे खाने से वेट लॉस के साथ ही शुगर और ब्लड प्रेशर में भी राहत मिलती है। यह ट्रॉपिकल क्षेत्रों में खासतौर से पाया जाता है। आइए हम आपको फल का नाम भी बता देते हैं। यह लसदार फल और कुछ नहीं कटहल है। कटहल को अंग्रेजी में jackfruit कहते हैं। बड़े पैमाने पर इसकी सब्जी, कोफ्ता, कबाब, अचार बनाते हैं और इसे फल की तरह भी खाया जा सकता है। 

कटहल का वानस्पतिक नाम आर्टोकार्पस हेटेरोफिल्लस है। इसमें कई महत्वपूर्ण कार्बोहाइड्रेट के अलावा कई विटामिन भी पाए जाते हैं। कटहल का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। आइए जानते हैं इसके फायदे भी 

कटहल की पत्तियों की राख अल्सर के इलाज के लिए बहुत उपयोगी होती है। इसकी ताजा हरी पत्तियों को साफ धोकर सुखा लें और उसका चूर्ण तैयार कर लें। पेट के अल्सर में इस चूर्ण को खाने से काफी आराम मिलता है।

मुंह में छाले होने पर कटहल की कच्ची पत्तियों को चबाकर थूक देना चाहिए। यह छालों को ठीक कर देता है।
पके हुए कटहल के गूदे को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबाल लें। इस मिश्रण को ठंडा कर एक गिलास पीने से जबरदस्त स्फूर्ति आती है। यही मिश्रण यदि अपच के शिकार रोगी को दिया जाए तो उसे फायदा मिलता है।

डायबिटीज में कटहल की पत्तियों के रस का सेवन काफी फायदेमंद रहता है। यह रस हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए भी उत्तम है। 

इसके छिलकों से निकलने वाला दूध यदि गांठनुमा सूजन, घाव और कटे-फटे अंगों पर लगाया जाए तो आराम मिलता है। इसके दूध से जोड़ों पर मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

कटहल के पे़ड की ताजी कोमल पत्तियों को कूट कर छोटी-छोटी गोली बना लें। इससे गले के रोगों में फायदा होता है। 

पके कटहल का सेवन करने से पेट साफ होता है। साथ ही, अपच की समस्या का निवारण हो जाता है।
कटहल की जड़ अस्‍थमा के रोगियों के लिए लाभदायक मानी जाती है। इसे पानी के साथ उबाल कर बचा हुआ पानी छान कर पीने से अस्‍थमा को कंट्रोल किया जा सकता है।

थायराइड के लिए भी कटहल उत्तम है। इसमें मौजूद सूक्ष्म खनिज और कॉपर थायराइड चयापचय के लिए प्रभावशाली होता है। यहां तक कि  यह बैक्‍टेरियल और वाइरल इंफेक्‍शन से भी बचाता है।
कटहल में मौजूद मैग्‍नीशियम हड्डी में मजबूती लाता है और ऑस्‍टियोपोरोसिस की समस्‍या से बचाता है। 

पके हुए कटहल के पल्प को अच्छी तरह से मैश करके पानी में उबालकर पीने से ताजगी आती है। कटहल में विटामिन ए पाया जाता है जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा निखरती है।

कटहल में अच्छी मात्रा में पोटैशियम होता है, जो हमारे दिल की सेहत दुरुस्त रखने में अहम रोल अदा करता है। दरअसल पोटैशियम मांसपेशियों के कामकाज में सामंजस्य बनाने और उन्हें बरकरार रखने में मदद करता है। इसके साथ ही यह हमारी बॉडी में सोडियम के स्तर को भी नियंत्रित करता है, जो हमारी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 

इसमें विटामिन C, A और एंटीऑक्सिडेंट भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि शरीर की इम्‍यूनिटी बढ़ाने में कारगर रोल निभाता है। मजबूत इम्यूनिटी बीमारियों और इनफेक्शन को शरीर से दूर रखने में अहम रोल निभाती है।
यह उन लोगों के अच्छा विकल्प हो सकता है, जो अपना वजन घटाना चाहते हैं। इसमें फैट नहीं होता और कैलोरी भी काफी कम होती है। इसके साथ ही इसमें काफी मात्रा में पौष्टिक तत्व भी होते हैं। कटहल में प्रोटीन भी अच्छी मात्रा में होता है, जिससे पेट काफी देर तक भरा-भरा महसूस होता है।

कटहल के बीज का चूरन बना कर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे मिट जाते हैं। जिन लोगों की चेहरा रुखा और बेजान होता है उन लोगों को कटहल का रस अपने चेहरे पर लगाना चाहिए। इसकी मसाज तब तक करे जब तक यह सूख न जाए फिर थोड़ी देर के बाद अपना चेहरा पानी के साथ धो लें। झुर्रियों से निजात पाने के लिए कटहल का पेस्ट बना कर और उसमें एक चम्मच दूध मिलाकर धीरे-धीरे चेहरे पर लगाना चाहिए। फिर गुलाब जल या ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें। नियमित रूप से ऐसा करने से चेहरे की झूर्रियों से छुटकारा मिल जाता है।

मरते समय व्यक्ति के मुंह में क्यों रखते हैं तुलसी और गंगाजल, जानिए इसके पीछे का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण

हिन्दू धर्म में लोगों की आस्था और श्रद्धा पूरी दुनिया में जानी जाती है। हिन्दू धर्म के लोग जीवन से मृत्यु तक कई परंपराओं को मानते हैं। बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके पलने-बढ़ने तक। शादी करने और उसके बाद बूढ़े होने तक। यहां तक की अंतिम समय और आखिरी सांस के बाद भी सोलह संस्कार का वर्णन मिलता है।

मृत्यु को अंतिम संस्कार माना जाता है। हिन्दू शास्त्र में जन्म के बाद मृत्यु होना निश्चित माना जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में तुलसी और गंगाजल डाला जाता है। कुछ स्थानों पर मुंह में सोना भी रखते हैं। मगर क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण क्या है। आइए हम बताते हैं आपको।

तुलसी का पत्ता


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मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में तुलसी का पत्ता रखते हैं। धार्मिक दृष्टी से तुलसी की बड़ी महत्ता बताई जाती है। तुलसी को श्रीविष्णु का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि तुलसी हमेशा विष्णु जी के सिर पर सजती हैं। माना जाता है कि तुलसी धारण करने वाले को यमराज कष्ट नहीं देते।
तुलसी का पत्ता व्यक्ति के मुंह में इसलिए रखा जाता है ताकी परलोक में व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़े। धार्मिक दृष्टि के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि को देखें तो तुलसी का पत्ता औषधि होता है। इससे कई रोगों में राहत मिलती है। बताया जाता है कि मृत्यु के समय तुलसी का पत्ता मुंह में रखने से व्यक्ति का प्राण त्यागते समय कष्ट से राहत मिलती है।
गंगाजल

हिन्दू धर्म में गंगाजल को भी सबसे पवित्र माना जाता है। किसी भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान में इससे पूजा की जाती है। कोई भी पूजन सामग्री बिना गंगाजल के पूजा नहीं होती। गंगा को स्वर्ग की नदी भी कहते हैं। वहीं पुराणों में बताया जाता है कि गंगा नदी भगवान विष्णु के चरणों से और भगवान शिव की जटाओं से निकली हैं।

मृत्यु के समय इंसान के मुंह में गंगाजल जरूर डाला जाता है। कहते हैं इससे शरीर से आत्मा निकलते समय अधिक कष्ट नहीं होता। मान्यता ये भी है कि मुंह में गंगाजल रखने से यमदूत सताते नहीं है। वहीं जीव के आगे का सफर आसान हो जाता है। वहीं वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो माना जाता है कि मरने वाला व्यक्ति प्यासा ना जाए।

गुरुवार को भूलकर भी न करें ये काम, हो सकती है बड़ी अनहोनी


ऐसे तो हिंदू धर्म में हर दिन का अपना एक अलग महत्व है। लेकिन गुरुवार का खास महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इसका संबंध जहां बृहस्पति ग्रह से है वहीं इसे नारायण का दिन भी कहा जाता है। इतना ही नहीं गुरुवार को साईं का दिन भी माना जाता है। मान्यता के मुताबिक बृहस्पति ग्रह दूसरे ग्रह के मुकाबले भारी होता है। इसलिए इसदिन भूलकर भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे शरीर या घर में हल्कापन आता हो और किसी अनहोनी की आशंका हो। इससे पति और बच्चे की उम्र घटती है या उनके साथ कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। शास्त्रों के मुताबिक महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति और संतान का कारक होता है। इसका मतलब यह है कि गुरु ग्रह संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है।

- बाल में नहीं लगाना चाहिए साबुन, न ही बाल कटाएं

- महिलाएं अगर अपना सिर धोती हैं या बाल कटाती हैं तो इससे बृहस्पति कमजोर होता है और पति व संतान की उन्नति रुक जाती है।

ऐसे तो हिंदू धर्म में हर दिन का अपना एक अलग महत्व है। लेकिन गुरुवार का खास महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इसका संबंध जहां बृहस्पति ग्रह से है वहीं इसे नारायण का दिन भी कहा जाता है। इतना ही नहीं गुरुवार को साईं का दिन भी माना जाता है। मान्यता के मुताबिक बृहस्पति ग्रह दूसरे ग्रह के मुकाबले भारी होता है।

इसलिए इसदिन भूलकर भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे शरीर या घर में हल्कापन आता हो और किसी अनहोनी की आशंका हो। इससे पति और बच्चे की उम्र घटती है या उनके साथ कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। शास्त्रों के मुताबिक महिलाओं की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति और संतान का कारक होता है। इसका मतलब यह है कि गुरु ग्रह संतान और पति दोनों के जीवन को प्रभावित करता है।

- बाल में नहीं लगाना चाहिए साबुन, न ही बाल कटाएं

 - महिलाएं अगर अपना सिर धोती हैं या बाल कटाती हैं तो इससे बृहस्पति कमजोर होता है और पति व संतान की उन्नति रुक जाती है।

 - गुरु ग्रह को जीव भी कहा जाता है। गुरुवार को नाखून काटने और शेविंग करने से गुरु ग्रह कमजोर होता है, जिससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

- घर में पोछा ना लगाएं। घर में अधिक वजन वाले कपड़ों को धोने, कबाड़ घर से बाहर निकालने, घर को धोने या पोछा लगाने से बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती - इस दिन लक्ष्मी को ना करें नजरअंदाज गुरुवार को नारायण का दिन होता है, ये बात तो ठीक है।

 - गुरुवार को लक्ष्मी-नारायण दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं और पति-पत्नी के बीच कभी दूरियां नहीं आतीं। साथ ही धन में भी वृद्ध‍ि होती है।

- गुरु ग्रह को जीव भी कहा जाता है। गुरुवार को नाखून काटने और शेविंग करने से गुरु ग्रह कमजोर होता है, जिससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

- घर में पोछा ना लगाएं। घर में अधिक वजन वाले कपड़ों को धोने, कबाड़ घर से बाहर निकालने, घर को धोने या पोछा लगाने से बच्चों, पुत्रों, घर के सदस्यों की शिक्षा, धर्म आदि पर शुभ प्रभाव में कमी आती

- इस दिन लक्ष्मी को ना करें नजरअंदाज गुरुवार को नारायण का दिन होता है, ये बात तो ठीक है।

- गुरुवार को लक्ष्मी-नारायण दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं और पति-पत्नी के बीच कभी दूरियां नहीं आतीं। साथ ही धन में भी वृद्ध‍ि होती है।


Sunday, 24 November 2019

रवि प्रदोष व्रत: इस प्रदोष व्रत से शंकर जी होते हैं प्रसन्न.



शास्त्रों में प्रदोष व्रत को बहुत महत्व दिया गया है। रविवार को आने प्रदोष को रवि प्रदोष कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत से न केवल शंकर जी प्रसन्न होते हैं बल्कि व्यक्ति के पाप भी नष्ट होते हैं तो आइए हम आपको रवि प्रदोष की पूजा-विधि और कथा के बारे में बताते हैं।

जानें रवि प्रदोष के बारे में-
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। उत्तर भारत में इसे प्रदोष व्रत तथा दक्षिण भारत में प्रदोषम कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। प्रदोष का हमेशा अलग-अलग दिन पड़ता है। सप्ताह के विभिन्न दिनों पर पड़ने के कारण प्रदोष का महत्व भी बदल जाता है। इस बार प्रदोष रविवार को पड़ रहा है इसे रवि प्रदोष या भानु वारा प्रदोष कहते हैं।


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24 नवंबर को पड़ने वाला रवि प्रदोष व्रत इस वर्ष का आखिरी रवि प्रदोष व्रत है। इसके बाद अप्रैल 2020 में रवि प्रदोष बनेगा। रवि प्रदोष के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष आराधना की जाती है।
रवि प्रदोष का महत्व-
मनुष्य के जीवन रवि प्रदोष का खास महत्व है। रवि प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वह दीर्घायु तथा सुखी जीवन व्यतीत करता है।

कैसे करें पूजा-

रवि प्रदोष व्रत विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु खास होता है। अगर आप स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों से परेशान है तो यह व्रत अवश्य करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन अन्न न खाएं केवल फलाहार लें। साथ ही रवि प्रदोष के दिन नमक न खाना भी आपके लिए फायदेमंद होगा। इस व्रत से न केवल मनुष्य निरोगी होता है बल्कि सभी प्रकार के पापों से भी मुक्ति मिलती है।

पूजा करने के लिए मंदिर को साफ करें और एक कलश में जल भर लें। उसके बाद थाली में सफेद फूल, धतूरा, फल और बेल पत्र रखें। इसके बाद दिन भर ऊं नमः शिवाय का जाप करें। फिर शाम को सूर्यास्त के बाद दुबारा स्नान करके शिव जी षोडषोपचार पूजन करें। ध्यान रखें कि रवि प्रदोष की पूजा शाम 4.30 से 7 बजे के बीच में करें।

रवि प्रदोष से जुड़ी कथा-

रवि प्रदोष से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक बार वह गंगा स्नान के लिए जा रहा था तभी लुटेरे उसे मिल गए उन्होंने उसे पकड़ लिया और पूछा कि तुम्हारे पिता ने गुप्त धन कहां छुपा रखा है। इससे बालक डरकर बोला कि वह बहुत गरीब है उसके पास कोई धन नहीं है। तब लुटेरों ने उसे छोड़ दिया।

वह घर वापस आने लगा कि तभी थकने के कारण पेड़ के नीचे सो गया और राजा के सिपाहियों ने उसे लुटेरा समझ कर पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। इधर गरीब ब्राह्मणी ने दूसरे दिन प्रदोष का व्रत किया और शिव जी से अपनी बालक की वापसी की प्रार्थना करते हुए पूजा की।

शिव जी ब्राह्मणी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर राजा को सपने में बताया कि वह बाल जिसे तुमने पकड़ा है वह निर्दोष है उसे छोड़ दो। दूसरे दिन राजा ने बालक के माता-पिता को बुलाकर न केवल बालक को छोड़ दिया बल्कि उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए उन्हें पांच गांव भी दान में दे दिए। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल ब्राह्मण का बेटा मिला बल्कि उनकी गरीबी भी दूर हो गयी।

पर्स में जरूर रखें ये चार चीजें, फिर कभी नहीं होगी पैसों की किल्लत



पैसे रखने के लिए अधिकतर लोग अपने पास पर्स रखते हैं। पर्स में लोग पैसे के साथ-साथ अपनी जरूरी की चीजें भी रखते हैं। कुछ लोगों की शिकायत होती है कि इन दिनों पैसे बहुत ज्यादा खर्च हो रहे हैं। आमदनी कम होती जा रही है।

अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है तो हम आपके पर्स में भी कुछ दोष हो सकता है।हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे उपाय जिसे अपनाने से कभी पैसों की कमी नहीं होगी,साथ ही समृद्धि आएगी। आइए जानते हैं इन खास उपायों के बारे में ...


अपने पर्स में विषम संख्या में गोमती चक्र को रखें। इससे आपको कभी पैसों की किल्लत नहीं होगी। आप मानसिक रूप से भी मजबूत रहेंगे। भविष्य में भी आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ रहेगी।


ओवल व्हाइट स्टोन अपने पर्स में रखें इससे आपको हमेशा खुशी महसूस होगी साथ ही आप अपने कार्य को लेकर सकारात्मक रहेंगे। अगर आप खुश रहेंगे तो आपकी तरक्की होनी तय है।

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अगर आप चाहते है कि आपको धन की कभी कमी न हो तो ऐसे में आप अपने पर्स में छोटा नारियल रखें। अगर यह आपके छोटे पर्स में नहीं आ रहा हैं तो आप इसे अपने बड़े पर्स में रख लें।


इसके अलावा अगर पर्स से पैसे ज्यादा खर्च हो रहे हैं तो आप अपने पर्स में एक पीपल का पत्ता बिना मोड़े रखें। इससे आपके पर्स में कभी पैसे की कमी नहीं होगी।

birthday special: 24 नवंबर को जन्म लेने वाले व्यक्तियों के लिए कैसा रहेगा ये साल



व्यक्ति के जन्म की तारीख का योग ही उसका मूलांक होता हैं इसका मतलब यह हैं,कि जिस तारीख को आपका जन्म हुआ हैं,उस तारीख का योग ही आपका मूलांक होगा।



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जानिए व्यक्ति के स्वभाव के बारे में—
आपको बता दें,कि इस मूलांक के जातक कार्य कुशल और धार्मिक होते हैं इनके जीवन में कार्य की अधिकता हमेशा ही बनी रहती हैं,परिवार और मित्रों का पूरा साथ प्राप्त होता हैं ये जातक अपने जीवन में उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं। वही इनकी आर्थिक स्थिति सामान्य होती हैं। ये अपने जीवन में कई विदेश यात्राएं भी करते हैं। वही सफलता हासिल करने के लिए इन जातको को कई कठिन प्रयास करने पड़ते हैं।

वही इन जातको का वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता हैं संतान सुख भी प्राप्त होता हैं। ये जातक अपने जीवन में लक्ष्य को थोड़ा विलम्ब से हासिल करते हैं। वही इनके चीजों को देखने का नजरियां सभी से अलग होता हैं कार्य करने का तरीका इनका सभी को अपने ओर खींच लेता हैं। वही 34 साल की आयु में ये जातक अपने जीवन में लक्ष्य को हासिल करते हैं। ये जातक किसी को दुखी देखना पसंद नहीं करते हैं।
जानिए इस साल मिलने वाली सफलताओं के बारे में—
बता दें, कि आने वाला साल इन जातको के लिए खास होने वाला हैं इस साल लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। वही कड़ी मेहनत भी इस साल करनी पड़ सकती हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहेगी। परिवार और मित्रों का साथ प्राप्त हो सकता हैं कोई नया कार्य भी शुरु कर सकते हैं। वही घर या दुकान का भी इस साल क्रय कर सकते हैं।

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डिसक्लेमर - Discalimer

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