loading...

adnow1

Loading...

Saturday, 9 June 2018

आखिर शनिदेव को क्यों चढ़ाते हैं सरसों का तेल, जानिए कैसे शुरू हुई ये प्रथा


शनिवार के दिन आपने शनि भक्तों को शनिदेव की पूजा करते तो देखा ही होगा.. लोग शनि मंदिर या फिर पीपल के वृक्ष के समक्ष उनकी विधिवत पूजा करते हैं और साथ ही शनिदेव को तेल भी चढ़ाते हैं। माना जाता है कि शनिदेव को तेल अर्पित करने से या उनके नाम से तेल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न हेते हैं और अपने भक्त को कष्टों से मुक्ति देते हैं। ये परम्परा तो सदियों से चली आ रही है जिसका पालन लोग शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ये प्रथा आखिर शुरू कैसे हुई और क्यों ऐसा माना जाता है कि तेल चढ़ा देने से शनि देव की कृपा मिलती है? अगर नही तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे की पीछे की पौराणिक मान्यता के बारे में बताते हैं..
loading...
दरअसल पुराणों में इसके पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं जिसमें पहली मान्यता ये है कि एक बार रामायण काल में शनि देव को अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया पर उस समय तीनो लोक में राम भक्त हनुमान जी के पराक्रम का गुणगान हो रहा था ऐसे में जब शनि को हनुमान जी के बारे में पता चला तो वो भगवान हनुमान के साथ शक्ति परिक्षण को उत्सुक हो गए। लेकिन शनि जब युद्ध की इच्छा लिए हनुमान जी के पास पहुंचे तो उस वक्त हनुमान जी प्रभु राम के स्मरण में लीन थें जबकि शनिदेव युद्ध करने को व्याकुल थे।  

ऐसे में पहले तो हनुमान जी ने शनि को समझाने का प्रयास किया और जब फिर भी शनि नही समझे तो हनुमान जी ने युद्ध करना स्वीकार किया और शनि को परास्त कर उनके अंहकार को चूर कर दिया। साथ ही उस युद्ध में शनि को इतनी अधिक चोट लगी कि उनका शरीर दर्द से कराह पड़ा जिसे देख कर हनुमान जी ने उनकी पीड़ा दूर करने के लिए उन्हे लगाने के लिए तेल दिया जिसे लगाते ही शनि देव का दर्द गायब हो गया । ऐसे में शनिदेव ने उस समय ये वचन दिया कि जो कोई भी मुझे सच्चे मन से तेल अर्पित करेगा मैं उसके सारे कष्टो को दूर करुंगा।


 

वहीं इसके बारे में दूसरी कथा भी प्रचलित है जो कि लंका दहन के प्रसंग से जुड़ा है। कथा ये है कि रावण ने अपने अहंकारवश सभी ग्रहों को लंका में बंदी बना कर रख लिया था। यहां तक कि उसने शनिदेव को अपने बंदीग्रह में उल्टा कर लटका दिया था। ऐसे में जब हनुमान जी भगवान राम के दूत बनकर लंका गए तो रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी और हनुमानजी ने उसी आग से पूरी लंका जला दी । इसी दौरान जब लंका जली तो वहां बंदी ग्रह आज़ाद हो गए, पर वहीं उल्टा लटके होने के कारण शनिदेव आग में ही फंसे रहे .. जिससे उन्हे भयंकर जलन की पीड़ा का सामना करना पड़ा और उन्होने दर्द में कराहा तो उनके कष्ट को खत्म करने के लिए हुनमानजी ने उनके शरीर पर तेल लगा दी और शनि देव को तुंरत ही दर्द से मुक्तिम मिल गई। इससे प्रसन्न हो शनि ने उसी समय कहा कि जो कोई भी श्रद्धा से मुझ पर तेल चढ़ाएगा, उसे सारे दुखों और कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी और इस तरह तभी से शनिदेव को तेल चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई ।

No comments:

Post a Comment

Also Read-

Loading...

डिसक्लेमर - Discalimer

डिसक्लेमर : https://naniketips.blogspot.com में जानकारी देने का हर तरह से वास्तविकता का संभावित प्रयास किया गया है। इसकी नैतिक जिम्मेदारी https://naniketips.blogspot.com की नहीं है। https://naniketips.blogspot.com में दी गई जानकारी पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। अतः हम आप से निवेदन करते हैं की किसी भी उपाय का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें। हमारा उद्देश्य आपको जागरूक करना है। आपका डाॅक्टर ही आपकी सेहत बेहतर जानता है इसलिए उसका कोई विकल्प नहीं है।