आपको बता दें, कि हिंदू धर्म शास्त्रों में शनि महाराज को कर्मों का फल प्रदान करने वाला देवता माना जाता हैं वही यह भी कहा जाता हैं कि जैसा मनुष्य करता हैं शनिदेव उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। इन्हें न्याय का भी देवता माना जाता हैं
अक्सर ही हम देखते हैं कि घर के आस पास मौजूद मंदिरों में शनिवार के दिन मंदिर में तेल चढ़ाया जाता हैं तो आज हम आपको शनिवार के दिन तेल चढ़ाने के पीछे क्या मान्यता हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ज्योतिषशास्त्रों के मुताबिक सभी नौ ग्रहों का संबंध मनुष्य के शरीर के किसी न किसी अंग से होता हैं वही शरीर के हर अंक का कारक अलग अलग ग्रह माना जाता हैं वही शनि ग्रह स्किन, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक ग्रह माने जाते हैं
वही कुंडली में शनि के अशुभ होने पर शरीर के इन अंगो पर बीमारियां कब्जा जमा लेती हैं वही शनि को शनिवार के दिन तेल अर्पित करना और शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करने से लाभ प्राप्त होता हैं।
वही शनिवार के दिन शनिदेव को तेल अर्पित करने के पीछे एक पौराणिक कथा हैं जिसमें बताया गया हैं कि एक समय शनिदेव को अपने ताकत का घमंड हो गया था।
शनि लोगो पर अपनी अशुभ दृष्टि डालकर परेशान करने लगे थे। वही घमंड इतना अधिक हो गया कि एक बार वे हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकार दिया वह स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली समझने लगे थे।
जब उन्होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकार वही हनुमान पहले तो नहीं आए मगर बाद में वे शनि को अपनी पूंछ में बांधकर परास्त कर दिया जिसकी वहज से शनि को काफी चोट लग गई वही शनि ने हनुमान जी से क्षमा मांगी और फिर हनुमान जी ने चोट पर लगाने के लिए जो तेल उन्हें दिया वह सरसों का तेल था तभी से शनि को सरसों का तेल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही हैं।
अक्सर ही हम देखते हैं कि घर के आस पास मौजूद मंदिरों में शनिवार के दिन मंदिर में तेल चढ़ाया जाता हैं तो आज हम आपको शनिवार के दिन तेल चढ़ाने के पीछे क्या मान्यता हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ज्योतिषशास्त्रों के मुताबिक सभी नौ ग्रहों का संबंध मनुष्य के शरीर के किसी न किसी अंग से होता हैं वही शरीर के हर अंक का कारक अलग अलग ग्रह माना जाता हैं वही शनि ग्रह स्किन, दांत, कान, हड्डियां और घुटनों के कारक ग्रह माने जाते हैं
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वही शनिवार के दिन शनिदेव को तेल अर्पित करने के पीछे एक पौराणिक कथा हैं जिसमें बताया गया हैं कि एक समय शनिदेव को अपने ताकत का घमंड हो गया था।
शनि लोगो पर अपनी अशुभ दृष्टि डालकर परेशान करने लगे थे। वही घमंड इतना अधिक हो गया कि एक बार वे हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकार दिया वह स्वयं को बहुत ही शक्तिशाली समझने लगे थे।
जब उन्होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकार वही हनुमान पहले तो नहीं आए मगर बाद में वे शनि को अपनी पूंछ में बांधकर परास्त कर दिया जिसकी वहज से शनि को काफी चोट लग गई वही शनि ने हनुमान जी से क्षमा मांगी और फिर हनुमान जी ने चोट पर लगाने के लिए जो तेल उन्हें दिया वह सरसों का तेल था तभी से शनि को सरसों का तेल अर्पित करने की परंपरा चली आ रही हैं।
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