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Tuesday 13 August 2019

रोज कराये गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी को भोजन, मिट जायेगे सारे कष्ट

हिंदू धर्म में कई सारी मान्यताएं हैं और हर मान्यता के पीछे एक कहानी भी छिपी हुई है। ऐसे में कई बार आपने सुना होगा कि लोग गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी को भोजन कराने का भी बड़ा महत्व बताते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हिन्दू धर्म में ये क्यों इतने महत्वपूर्ण माने गए हैं। आखिर इनको अन्न देने से क्या लाभ होगा?


 आखिर क्या है इनका रहस्य? तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि गाय, कौए और कुत्ते का रहस्य हिन्दू धर्म में गाय, कौए, कुत्ते, चींटी और सांप को अन्य पशु को भोजन कराने से पूर्व अग्नि को उसका कुछ भाग अर्पित किया जाता है जिसे अग्निहोत्र कर्म कहते हैं। आपने देखा होगा कि कई बार हिंदू धर्म के लोग खाना खाने से पहले थाली में से 3 ग्रास निकालकर अलग रख देते हैं, फिर अंजुली में जल भरकर भोजन की थाली के आसपास दाएं से बाएं गोल घुमाकर अंगुली से जल को छोड़ दिया जाता है। एेसा करने के पीछे भी कहा जाता है कि यह तीन कोल ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए होता है। ठीक इसी तरह गाय, कौए और कुत्ते के लिए भी रखा जा सकता है यह भोजन का नियम है।


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आखिर क्या है इनका रहस्य?
कुत्ते का रहस्य

दरअसल शास्त्रों में कुत्ते के बारे में बताया गया है कि यह यम के दूत होते हैं, इतना ही नहीं कुत्ते को हिन्दू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता है। इसलिए मान्यता है कि कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं। इतना ही नहीं कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है।



कौए का रहस्य

शास्त्र में कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है। श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है। भादौ महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बनता है। ये 16 दिन श्राद्ध पक्ष के दिन माने जाते हैं।



गाय का रहस्य

गाय के विषय में तो वैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं।गाय ही व्यक्ति को मरने के बाद वैतरणी नदी पार कराती है। भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। गाय लाखों योनियों का वह पड़ाव है, जहां आत्मा विश्राम करके आगे की यात्रा शुरू करती है।



चींटी का रहस्य

चींटियों को भले ही हम शुरूआत से नजरअंदाज करते आए हैं लेकिन मानव को चींटियों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। चींटी का मुख्य कार्य है- वृक्ष तथा झाड़ी आदि के आसपास मरे हुए छोटे-छोटे जीवों को खाकर उन्हें समाप्त करना, गंदगी को दूर करना, उनके द्वारा हो सकने वाली बीमारी के भय के कारण को खत्म करना। यह कार्य इतना सूक्ष्म है कि इसे और कोई प्राणी नहीं कर सकता। इनमें से लाल को अशुभ और काली को शुभ माना गया है। दोनों ही तरह की चींटियों को आटा डालने की परंपरा प्राचीनकाल से ही विद्यमान है। चींटियों को शकर मिला आटा डालते रहने से व्यक्ति हर तरह के बंधन से मुक्त हो जाता है।

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