घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियां रखकर पूजा अर्चना करने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस कारण घर में छोटा मंदिर होता है और उस मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में भगवान का वास नहीं है वो घर कभी घर नहीं बन सकता वो केवल एक मकान रहेगा।
लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि सभी मूर्तियां शुभ प्रभाव देने वाली नहीं होती। वास्तु के अनुसार, कई मूर्तियां ऐसी भी होती हैं, जिनके दर्शन करना मनुष्य के लिए अशुभ प्रभावों का कारण भी बन सकता है। आज हम भगवान के ऐसे ही कुछ स्वरूप और मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके दर्शन करना अच्छा नहीं माना जाता है।
इन नियमों का करें पालन...1. वास्तुशास्त्र के अनुसार, भगवान की मूर्ति घर में इस प्रकार से रखनी चाहिए जिससे इनके पीछे का भाग यानी पीठ दिखाई नहीं दे। क्योंकि भगवान की पीठ का दिखना शुभ नहीं माना जाता है इस कारण से मूर्ति के पिछले भाग को कपड़े से ढक़कर या दीवार से लगाकर रखना चाहिए क्योंकि अगर पीठ दिखती है तो कुछ ना कुछ अनिष्ट हो सकता है।
2. पूजा स्थल में एक ही भगवान की दो तस्वीर रखना कष्टकारी होता है और खासतौर पर दोनों मूर्तियां आस-पास या आमने सामने हों, क्योंकि इस वजह से घर में नकारात्मक उर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है।
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3. भले ही किसी मूर्ति में आपकी गहरी आस्था हो, लेकिन मूर्ति खंडित हो गई हो या उसकी चमक फीकी पड़ गई हो तो उसे घर से निकाल दें या फिर विसर्जित कर दे क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार खंडित और आभाहीन मूर्तियों के दर्शन से हानि होती है।
4. पूजा स्थल पर भगवान की ऐसी मूर्ति रखें जिनका मुख सौम्य और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो वहीं ऐसा भी कहते हैं कि रौद्र और उदास मूर्ति घर में रखने से नकारात्मक उर्जा का संचार होना शुरू हो जाता है।
5. भगवान की ऐसी किसी मूर्ति के दर्शन नहीं करने चाहिए, जिसमे वे युद्ध करते या किसी का विनाश करते नजऱ आए। ऐसी मूर्ति के दर्शन करना भी दु:खों का कारण बन सकता है।
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